लेखनी कविता - सिपाही -माखन लाल चतुर्वेदी

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सिपाही -माखन लाल चतुर्वेदी  गिनो न मेरी श्वास, छुए क्यों मुझे विपुल सम्मान? भूलो ऐ इतिहास, ख़रीदे हुए विश्व-ईमान !! अरि-मुड़ों का दान, रक्त-तर्पण भर का अभिमान, लड़ने तक महमान, एक ...

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